खून खौल उठता है हमारा,
जब कोई हमारी सीमा को आंख दिखाता है!
क्रोध से भर उठता है दिल,
जब कोई हमारे शांति को आग लगाता है!!
हमे पता है इतना कि,
कुछ गद्दार , गद्दारी कर रहे हैं!
हमारे वतन के बर्बादी की ,
वे तैयारी कर रहे हैं!!
उनके अरमान धरे रह जाएंगे,
और सपने बिखर सब जाएंगे!
भारत का हर बच्चा-बच्चा,
उन गद्दारों को सबक सिखाएंगे!!
अभी दयालुता सिर्फ़ देखा तुमने,
कोप हमारा नही देखे!
अभी तलवारों की चमक देखी तुमने,
तलवार की धार नही देखे!!
अलग-अलग मज़हब के हम,
पर हम भारत वासी पहले हैं!
अपनें वतन पे जान गंवाने वालों मे,
हम नहले पे दहले हैं
हम नहले पे दहले हैं........
मोहन श्रीवास्तव
दिनांक- २५/१२/१९९९,शनिवार,दोपहर ३.२० बजे
चंद्रपुर (महाराष्ट्र).
1 comment:
Wow! sir wonderful... its really very motivational for us... thanks and keep writing always.
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