Wednesday 28 September 2011

मोबाइल

अब गया जमाना मोबाइल का,
चिट्ठी -पत्री का कोई काम नही !
अब फ़ोन पे ही बातें किए जाते,
मिलने -जुलने का नाम नही !!

पहले जीवन -साथी थी पत्नी,
पर अब जगह ले लिया मोबाइल ने !
अब पहले मोबाइल, बाद मे पत्नी,
बस यही है सस्ता इस मंहगाई मे !!

पल भर मे दूरियां सिमट जाती,
कई काम है इससे हो जाते !
कभी बिल पटाने की हो बात,
या कभी टैक्स सरलता से भरे जाते !!

प्यार भरी बातों से इसपे,
लड़के -लड़की हैं पट जाते !
अब मोबाइल कम्पनियों के रहमो -करम से,
भर -पूर प्यार हैं किए जाते !!

पहले लोग गले मिलते थे,
पर अब मोबाइल पे काम है चल जाता !
हेल्लो -टाटा हाय-बाय,
चुम्मा -चाटी से काम है निकल जाता !!

अब गया जमाना मोबाइल का................

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक -०६/०३/२०१०,शनिवार,समय-.५५ . एम

कोंडागांव   ,बस्तर(छ्त्तीसगढ)
 

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