आज कितना है दिन ए सुहाना,
अपनी मइया जी घर आ रही हैं ।
अपनी खुशियों का ना कोई ठिकाना,
वो अपने चरणों की रज ला रही हैं ॥
आज कितना है दिन.......
आखें कब से बिछाये थे हमने,
अम्बे आयेंगी अपनी जिधर से ।
है दरश को ये कब से हैं प्यासे,
अम्बे आयेंगी जाने किधर से ॥
आज कितना है दिन.......
लाल चोली मे लिपटी है माता,
सिंह पे है सवारी तो उनकी ।
अष्टभुजा धारी मेरी मइया,
हैं वो दुलारी तो हम सभी की ॥
आज कितना है दिन.......
कर मे त्रिशूल, खप्पर है माँ के,
माथ पे माँ के चन्दा बिराजे ।
पुष्प का हार माँ के गले मे,
सोने का छत्र सिर पे है साजे ॥
आज कितना है दिन.......
आ गई माँ है आज अपनी,
आओ आरती माँ के सब जन उतारो ।
हम गरीबों की झोली मे मइया,
अपने आशिष का वर तुम डारो ॥
आज कितना है दिन ए सुहाना,
अपनी मइया जी घर आ रही हैं ।
अपनी खुशियों का ना कोई ठिकाना,
वो अपने चरणों की रज ला रही हैं ॥
आज कितना है दिन.......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
01-08-1999,sunday,7.15pm,
chandrapur,maharashtra.
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