Wednesday 28 September 2011

अब नया जमाना तो इंडिया का है

जब घूंघट मे सिमटती थी नारी,
और पायल बजते थे पावों मे !
सर पे बेंदी व हाथ मे कंगन,
जब दिल बसते थे गांवों मे !!

धोती -कुर्ता -व पैजामे ,
सर पे पगड़ी व लम्बी मूंछे थे !
आभा से झलकते थे मुखमंडल,
उनके आदर्श तो कितने ऊंचे थे !!

यह चंद तश्वीर तो है ए भारत की,
अब नया जमाना तो इंडिया का है !
जब डिस्को-डिजी पे थिरकते हों कदम,
तो यह कमाल बिंदीया का है !!

चारों तरफ़ है लूट -पाट,
और  भ्रष्टाचार चरम पर है !
अंग प्रदर्शन अंग्रेजों जैसा,
बेहयाई तो कदम-कदम पर है !!

भारत की प्रतीष्ठा लगा दांव पर,
लीडर जेबों को भरते हैं !
झूठा भारत का जय बुलवाकर,
इंडियन होने का दम वे भरते हैं !!

अब नया जमाना तो.........

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१९/०९/१९९९,
रविवार,समय-दोपहर-.४० बजे
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

                         


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