Friday 30 September 2011

पर इनको देश लूटने पर



हालात देश का देख-देख कर,
आंखों मे आंसू आ जाता!
दर्द दिलों में होता है,
और उजाले पर अंधेरा छा जाता!!

कुर्सी पाने की होड़ मे देखो,
नित जूतम-लातम होते हैं!
जातियता का ज़हर घोलकर,
ए बहुत चैन की नींद में सोते हैं!!

देश पर ध्यान है कम इनका,
सदा वोटों के गणित में उलझे रहते!
अपराध व घोटाले करते जाते,
और निर्दोष होकर ए छूटते रहते!!

एक आम आदमी के गलती करने पर,
उसे हर तरह की सजांए दी जाती!
पर इनको देश लूटने पर ,आदर से,
विरोधी दलों मे पनाह है मिल जाती!!

राजनीति के ऐसे कुछ नेता,
जो देश का खून पी रहे हैं!
लोगों मे दहशत फ़ैलाकर,
वे खूब मजे से जी रहे हैं!!

 मोहन श्रीवास्तव
 दिनांक-०९/०२/२००० , वुद्धवार, शाम ५ बजे

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