रो रहा है भारत आज दर्द से,
हे , श्री राम कहां तुम खोए हो !
उस रावण को मार के क्या ,
आराम की नींद मे सोए हो !!
उस समय तो एक ही रावण था,
जिसने लोगों पर कहर बरपाया था !
दानव कुल मे वह पैदा होकर,
अपना ज़हर फ़ैलाया था !!
हो गए हैं आज कई रावण,
जो मानव कुल मे पनपे हैं !
जिनके अत्याचारों का डंका,
आज हर जगह-जगह पे हैं !!
चोरी-डाका- आगजनी,
वे लोगों मे डर फ़ैला रहे हैं !
अपनी हवस मिटाने के लिए,
वे अबलावों पे ज़ुल्म ढा रहे हैं !!
भ्रष्ट्राचार व अत्याचार,
रोज-रोज ही उग रहे हैं !
रह रहे हैं बुझे-बुझे से सब,
और मन ही मन सुलग रहे हैं !!
आज के इन रावणों को ,
हे श्री राम मारने आ जावो !
रोते हुए भारत की आत्मा को,
इनसे छुटकारा दिला जावो !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१७/१०/१९९९, रविवार,दोपहर ३.१० बजे
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