रोना ही लिखा हो किस्मत में,
तो शहनाई की गूंज कहा भाए !
जब दर्द उठा हो सिने में,
तो खुशियों के गीत कहा गाए !!
चुपचाप गमों के अंधेरे में,
आंसू को अपने पी जाना !
उन सब की तीखी बातों से,
फ़ूल से दिल का जल जाना !!
राहों मे संभल के चलो जितना,
पावों मे ठोकर लग जाए !
छावों मे उन्हे तुम रखो जितना,
घावों को और वो देते जाए !!
कुछ पल की खुशी तो ठीक नही,
जो गम मे कभी भी बदल जाए !
ऐसे आग से बचना ठीक नही,
जिस आग मे सब कुछ जल जाए !!
कांटो से भरा हो यदि ये जीवन,
तो फ़ूलों के बहार का क्या करना !
घुट-घुट के जीना भी क्या जीना,
ऐसे जीने से ठीक होगा मरना !!
घुट-घुट के जीना भी क्या जीना,
ऐसे जीने से ठीक होगा मरना..........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२४/१०/२००० ,मंगलवार -दोपहर-३.१५ बजे
चंद्रपुर(महाराष्ट्र)
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