शादी-विवाह कि बातें सुनकर,
कुवारों के दिल मे लड्डू फ़ूटते हैं !
आंखों की नीद गायब होकर,
मन मे सुहाने सपने वो बुनते हैं !!
बहुत मान-मनौव्व्ल करने पर,
जब शादी की तारीखें रखी जाती !
शहनाई की गूंज व बाजे-गाजे से,
तब बारात दुल्हन के घर मे आती !!
पूरे रश्मों-रिवाज को पुरे कर,
दुल्हन-दुल्हे के घर आती है !
कुछ दिन शांति का राग अलापकर,
फ़िर अशांति के गीत वह गाती है !!
जब नई- नवेली घर आई,
तो अखियां कैसे चार हुए!
पत्नी के घर मे आते ही,
तब दुश्मन अपने घर-द्वार हुए !!
साड़ी- मेकप- बाजार घूमना,
यह उसके लम्बे लिस्ट मे आ जाता !
विभिन्न तरह के फ़र्माईस से,
फ़िर वो बेचारा पछताता !!
ससुराल-घर व पत्नी मे,
उसकी त्रिशंकु कि हालत हो जाती !
यदि पत्नी समझ दार नही मिली,
तो पति की जमानत जब्त हो जाती !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०७/१२/२०००,रात्रि-१२.३५बजे,बॄहस्पतिवार,
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