Saturday 29 October 2011

फ़ूल से भी नाजुक है यह तन


फ़ूल से भी नाजुक है यह तन,
और यह पत्थर से भी कठोर है!
इसको चाहे जैसे बनावो,
यह हर परिस्थिति मे ढल सकती है!!

बर्फ़िली-सर्द हवावो और,
अग्नि को सह सकती है यह!
समुद्र की गहराई का पता लगा,
और एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ सकती है यह!!

जल से लेकर पत्थर तक,
हर चीज पचा सकती है यह!
बस सब्जी-अनाज की बात ही क्या,
कांच को भी खा सकती है यह!!

वचनों से आहत हो सकती है यह,
और तलवार की धार सह सकती है यह!
बस तलवार-कटार की बात ही क्या,
यम की मार भी सह सकती है यह!!

जो सपनो मे भी नही सोचा जा सकता,
यह कई अनोखे कारनामे कर सकती है !
इसको चाहे जैसे बनावो,
यह हर परिस्थिती मे ढल सकती है!!

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२६/०१/२००१,शुक्रवार,सुबह-९.२० बजे,
थोप्पुर घाट,धर्मपुरी(तमिलनाडु)

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