Monday 10 October 2011

एक आदर्श पति - पत्नी से बने

पर पुरुष को अपने दिल मे लाना,
इक पत्नी के लिए महापाप है !
वो अपना सब कुछ हार चुकी,
उसके बस पति-परमेश्वर आप ही हैं !!

इक पत्नी की इच्छा रहती है सदा,
कि उसके पति का माथा उंचा सदा रहे !
अच्छे काम कर वो जग मे,
और हर पापों से बचा रहे !!

अधिकार आप पर है उसका,
तो कर्तव्य आप का भी है !
उसकी भी इच्छावों का भी सम्मान करें,
जिसका सब आश आप पर ही है !!

उसे नही चाहिए सोना-चांदी,
ना ही महल -अटारी !
बस प्यार की छावों मे रखिए सदा,
उसके लिए यही है खुशियां सारी !!

आपसी समझ हो दोनों मे,
और नफ़रत से कोसों दूर रहें !
ज़िंदगी गुज़ारे हस- मिल के,
और एक आदर्श पति -पत्नी से बनें !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)

दिनांक- २५/११/२००१, रविवार,सुबह - .३० बजे,

नामक्कल  , (तमिल नाडु)


No comments: