गर्व से कहो हम भारतीय है,
और हम वीरो के ही वंशज हैं !
यह देश हमारा अमर शरीर,
और हम सब इसकी धड़कन हैं !!
इसकी रक्षा करना हमारा प्रथम धर्म,
और जो इससे गद्दारी करे वह दुश्मन है !
यहा तरह-तरह- के विभिन्न धर्म,
जहा सभी धर्मो का संगम है !!
हम बुझदिल या कायर है नही,
जो गीदड़ भभकी से डर जाएं !
हम छुई-मुई के पेड़ नही,
जो छुने से मुर्झा जाएं !!
हम आग उगलते गोले है,
जो दुश्मनों को भष्म कर देते हैं !
हम सब शीतल चंदन है,
जो काल को भी शीतल करते हैं !!
हम सम्मान व प्यार देते पहले,
और वैसी ही आशा रखते !
पर इसको समझे डरना कोई,
तो वह आगे से निराशा ही समझे !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१८/१२/२०००,सोमवार,दोपहर,२.४५ बजे,
चंद्रपुर(महाराष्ट्र)
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