दिवाली ने निकाला दिवाला,
लोगो के चेहरे लाल हुए !
इस कमरतोड़ मंहगाई से,
लोगो के हाल बेहाल हुए !!
जितनी जिसकी चादर थी,
उसके अंदर ही जिसने खर्च किए !
दिवाली की तरह ही खुशियां,
अपने लिए हर पल ही लिए !!
जिसने भी लोगों को देख-देख कर,
अपने खर्चे अधिक बढ़ाए !
बिना वजह ही वे अपने सिर पर,
कर्जे का बोझ चढ़ाए !!
इसीलिए ही अपनी जितनी आवक हो,
उतने ही खर्चे किए जाए !
चहरे पे मुस्कान हमेशा हो,
और परिवार मे खुशिया नित आए !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक०६/११/१९९९,शनिवार,दोपहर-११.४५ बजे,
चंद्रपुर(महाराष्ट्र)
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