मंहगाई से तो बुरा हाल ,
पर गर्मी से हाल बेहाल हुए !
आग उगलते सूरज से ,
लोगों के चेहरे लाल हुए !!
दिन मे बरसते अंगारे ,
रात मे कुछ ठंडी रहती !
पंखे -कूलर की हवावों से ,
गर्मी से कुछ राहत मिलती !!
गमछे-दुपट्टे सर मे लपेटे ,
सब धूप से बचने की कोशिश करते !
ठंडे -शीतल पेय पदार्थों से ,
लोग अपने को ठंडा रखते !!
परीक्षा खत्म हुए बच्चों के ,
लम्बी छुट्टीयां इन्हे मिली !
पर भयानक गर्मी के कारण ,
घर मे ही इन्हे कैद मिली !!
तन से पसीना निकल रहा ,
मन मे ठंड की आशा रहती !
पर मंहगाई व गर्मी की वजह से ,
लोगों के दिलों मे निराशा ही रहती !!
मोहन श्रीवास्तव
दिनांक -०४/०४/२००० ,मंगलवार रात -१०.०५ बजे ,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)
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