Monday 3 October 2011

खुश रहना तुम तो जहां भी रहो

खुश रहना तुम तो जहां भी रहो,
मेरा प्यार तुम्हे तो मिलता रहे !
चेहरे पे नही हो मायुसी,
मुखड़ा गुलाब सा खिलता रहे !!

तुम अपना बनी तो फ़िर क्या हुआ,
तुम अपने नसीब मे थी ही नही !
अंजाने मे आए थे ये बादल,
इनकी कोई गलती थी नही !!

कभी दर्द हो तेरे दिल मे,
कभी दुख के ना कोई आंसू हो !
पावों मे कभी तुम्हे ठोकर ना लगे,
और तुझपे कोई जादू सा हो !!

कभी याद आए मेरी तुम्हे,
तुम तो मेरी यादों मे आया करो !
कभी गम ना सताए तुम्हे कोई,
हर-पल तुम तो मुस्कराया करो !!

जीवन भर बहार मिले तुमको,
फ़ूलों की तरह मुस्काती रहो !
अरमान तुम्हारे हों पूरे,
खुशियों के गीत तुम गाती रहो !!

प्यार ही प्यार मिले तुमको,
 हर जगह तुम्हे नित प्यार मिले !
नफ़रत भी यदि कोई करे तुमसे,
उनसे भी प्यार  का हार मिले !!

खुश रहना तुम तो जहां भी रहो........

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचना का दिनांक- २९/११/२००० , वुद्धवार, रात १०.४० बजे
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