Sunday 16 October 2011

हो गया जमाने को क्या है


हो गया जमाने को क्या है,
जो झट से तलवारें निकालते है!
क्षण-भर के लिए आवेश मे आ,
वे अपनो का लहू बहाते है!!

छोटी-छोटी बातों को लेकर,
भाई-भाई खुन का प्यासा है!
शक भर गया है मन मे इनके,
और मन मे उपजी निराशा है!!

छोटा सा जिवन जिएंगे,
पर गुमान अनोखा सा है!
युग-युग-तक-जैसे मरेगे नही,
अभिमान चटपटा सा है!!

कौड़ी मात्र के लिए वे,
अपनो का खुन बहा रहे हैं!
अपराधियों व घोटाले बाजो के आगे,
अपना सर श्रद्धा से झुका रहे हैं!!

अत्याचार व हिंसा से दूर रहके,
प्यार कि ज्योति जलावो दिल मे!
चार दिनो के इस जीवन मे,
ईंसानियत का धर्म बसावो दिल मे!!

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२३/१०/२००० ,सोमवार,सुबह ८.१५ बजे,
चंद्रपुर(महाराष्ट्र)

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