तुम्हारे बिन नही जमती है आज ये महफ़िल
!
सुहाना वक्त है मौशम,तुम इसमे हो जावो शामिल !!
तुम्हारे बिन...
मैने पिया है आज बहुत जमकर के शराब
!
पर मुझको नही मिलती है वो मशहुर शवाब
!!
तुम्हारे बिन...
ये चांदनी रात है,तारे कर रहे झिलमिल !
तुम्हारी बाहों को चाहता है मेरा दिल
!!
तुम्हारे..
अपनी- अपनी ख्यालो मे सभी मशगूल हो रहे !
वो मेरी जाने मन हम अपनी सवाल किससे
करें !!
तुम्हारे बिन...
आज हमसे धोखा किया है क्युं तुमने !
तेरे एहसान का बदला मै कैसे चुकाउंगा
!!
तुम्हारे बिन नही जमती...
रंग -महफ़िल नही ये तो कब्रीस्तान है !
मेरी हालत आज जैसे कोई शैतान है !!
तुम्हारे बिन नही जमती..
शोले उगलते है आज इन सबकी बातें !
दिये जलते है कैसे आज रह-रह कर !!
तुम्हारे बिन नही जमती....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२१/५/१९९१,मंगलवार,शाम,५.५० बजे,
एन.टी.पी.सी.,दादरी,गाजियाबाद(उ.प्र)
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