राम का नाम ले लो मेरे दोस्तो,
जिन्दगानी का कोई भरोसा नही!
उनकी भक्ती मे तुम डूब जावो अभी,
इस जवानी का कोई भरोसा नही!!
रे मन ! तू ना करो अभिमान
तुझको भी उपर जाना है
कर ले तु प्रभु का अब ध्यान
तुझको भी उपर जाना है
रे मन !...
हमको जाना तुमको जाना
इसके लिए ना कोई बहाना
जहा रहोगे वही से जाना
ये दुनिया होगी बेगाना
अब से तू भज ले भगवान
कि तुझको भी उपर जाना ह
रे मन !
ना ही भाई ना है बहना
कोई नही यहा है अपना
ना ही दौलत ना ही औरत
इस माया से तुझे नहि मोहलत
अपना त्याग दे तु अभिमान
कि तुझको भी उपर जाना है
रे मन !...
इस तन पर तू मत गुमान कर
ये मिट्टी मे मिल जाएगा
तू अच्छे कामो को कर ले
उसका ही नाम रह जाएगा
तू बन जा नेक ईंषान
कि तुझको भी उपर जाना है
रे मन.....
तुम ना किसी की करो बुराई
जिसकी हो सके करो भलाई
सत्कर्मो की बाजार लगा दो
दुष्कर्मो को दूर भगा दो
ना तू कर किसी का अपमान
कि तुझको भी उपर जाना है
रे मन....
ये पंक्षी एक पिजड़े मे बंद है
इसके रहने के दिन चंद है
जिस दिन पिजड़ा खुल जाएगा
प्राण खुद ब खुद उड़ जाएगा
इसलिए तू रट ले श्री राम
कि तुझको भी उपर जाना है
रे मन........
मोहन श्रीवास्तव
दिनांक- ६/५/१९९१ ,सोमवार रात्रि ००.४५ बजे,
एन.टी.पी.सी दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)
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