प्यार ए ऐसी चीज है ,जिसका नही है मोल !
ये ऐसा तराजू है यारों, जिसका नही है तोल !!
इस रोग का न कोई ठिकाना,कब किसको लग जाय !
इसकी कोई दवा नही है,कब किससे छिन जाय !!
कोई कितना अपने दिल को संभाले, फ़िर भी करता ये वार !
अमिर-गरीब-उंचा-निचा,देखे नही ये प्यार
!!
हीर-रांझा-लैला-मजनू,दिवाने सिरी-फ़रहाद !
इसके किस्से अनेकों है ऐसे,जिसे करते सब याद !!
इसके खेल अनेकों है यारों,दो दिल कब बिछुड़ जाय !
ये ऐसा नाजुक चीज भी है, जो छुने से टूट जाय !!
मैने भी इक से प्यार किया था,जो ना मुझे वो मिला !
वो प्यार का फ़ूल ऐसा था मेरा,जो ना कभी भी खिला !!
आखिर मे मेरा यही दुआ है,जो भी करे कोई प्यार !
सबको सब की अमानत मिले, और सब को सब का प्यार !!
प्यार ये ऐसा चीज है,जिसका नही है मोल !
प्यार इक ऐसा तराजू है यारों,जिसका नही है तोल !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१५/७/१९९१ ,सोमवार,सुबह , ७.३५ बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)
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