हे अम्बे मा काली, मा विनती सुनो हमारी....
द्वारे तिहारे हम सब आए, करो कॄपा हे माता..
पार्वती मा तू जगज्जनी तू
ही भाग्य विधाता
मा उचे पर्वत वाली मा विनती
सुनो हमारी
हे अम्बे मा काली...
हम है दीन-दुखी मेरी मइया तेरे दरश
को आए !
करो अनुग्रह मुझ पर माता, फ़ूलों की माला लाए !!
जय मा शेरा वाली ,मइया विनती सुनो हमारी..
हे अम्बे मा काली...
त्रिनेत्रा-तू सरस्वती मा-करुणामई-कॄपाल हरे !
ब्रह्मा-विष्णू तुम्हे नित ध्यावे,शिव शंकर जी ध्यान धरे
!!
हे मा तू सब की माली,मइया विनती सुनो हमारी..
हे अम्बे मा काली...
हम तेरी पूजा कर नही सकते,हम मूरख अग्यानी !
हे मा निज भक्ती दे दो,तुम्हे कहते सब दानी !!
मुण्ड माला पहनने वाली,मइया विनती सुनो हमारी..
हे अम्बे मा काली...
मेरी लाज बचा लो माता, अब कोई ना सहारा !
आके मेरे काज बना दे ,मै हू सब कुछ हारा !!
चक्र-त्रिशूल-बघम्बर धारी,मइया विनती सुनो हमारी..
हे अम्बे मा काली,मइया विनती सुनो हमारी..
हे अम्बे मा काली...
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२९/४/१९९१ ,शाम-८.१५ बजे,सोमवार,
एन.टी.पी.सी. दादरी, गाजियाबाद(उ.प्र.)
No comments:
Post a Comment