हम बाल तुम्हारे दर्शन को, आए हैं,हे भोले बाबा
हमे दर्शन दे दो अपना तुम,क्युं रुठे हो भोले बाबा
हम बाल तुम्हारे...............
हे डमरु वाले कहां छुपे,तुम्हे ढुढें मन्दिर-महलों मे
आ जावो प्रभु तुम हिमालय
से,तन पे पहने हुए मॄग छाला
हम बाल तुम्हारे............
प्रभु कब से तुम्हे पुकार
रहे,निज भक्ती दे दो हम सबको
दिनो के स्वामी आ जावो,श्री राम भक्त डमरु वाला
हम बाल तुम्हारे.....................
संग मे माता गौरी को
लेकर,अपने तुम बैल सवारी पर
हे आश्तोष अवढर दानी,तन भष्म मे लिपटे हुए
आ जा
हम बाल तुम्हारे...............
प्रभु राम-राम तुम कहते-कहते,प्रभु डमरु बजाते हुये
आवो
हे कालों के भी महाकाल
कर मे त्रिशुल ले कर आवो
हम बाल तुम्हारे..........
अपने सुत गणपति को लेकर,प्रभु शीश जटा गंगा धरकर
प्रभु आवो तुम काशी नगरी
से,गले में सर्पो की माला लिए
हम बाल तुम्हारे.......................
हमे पूजा का तेरी ग्यान
नही,निज जीवन के कर्ण धार तुम्ही
हे जगतपति,लोकाभिराम,आकर मेरी लाज बचा जावो
हम बाल तुम्हारे..................
तुम छण मे रुष्ट-तुष्ट होते,भक्तो के दुखो को तुम हरते
आ जावो मेरे त्रिपुरारी
जी,भक्तो के तुम हो रखवाले
हम बाल तुम्हारे.......................
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक- २०/९/१९९१ शुक्रवार ,७.३५ बजे,शाम,
जोगापुर भदोही (उ.प्र.)
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