बहना ओ बहना,मेरी प्यारी सी बहना !
जहा भी रहो तुम, खुश हो करके रहना !!
बहना ओ बहना.................
मेरी प्यारी बहना, मेरी आखों की तारा !
इसकी खुशी मे ही, है जिन्दगी हमारा !!
बहना...............
रहे सलामत मेरी, बहना की जोड़ी !
आज ये कैसे, सब से मुख मोड़ी !!
बहना..........
मा-बाप की ये, दुलारी थी बिटिया !
थी मेरे आंगन, की नन्ही सी गुड़िया !!
बहना...................
डोली मे बैठी, ये दिखती भली !
अन्जाने घर मे, चली ये अकेली !!
बहना.............
कैसा बिधाता ने, रिति ये बनाया !
सबको अपनी बहना, से अलग है कराया !!
बहना.....................
सब के है आखों मे ,प्यार के आंसू !
खुशी मिले तुझको, जहां भी रहे तू !!
बहना ओ बहना...........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१०/८/१९९१,
शनिवार,रात ९.३५ बजे,
No comments:
Post a Comment