हे मातु कालिके अम्बे मां ,जगजननी मुझ पर कृपा करो !
हम तेरे द्वारे आए है,दुर्गे माता तुम दया करो !!
हे मातु कालिके..........................
हे कल्याणी कल्याण करो, मेरे दुखों को दुर करो !
पुष्पों की माला लाए हैं,मां तुझे चढ़ाने आए हैं !!
हे मातु कालिके........................
सृष्टि निर्मात्री,पालन हारी,तुम संहार करने वाली !
मुझ पर आज विपद है पड़ी,मेरे विपदा को दूर करो !!
हे मातु कालिके.....................
हम दीन-हीन भिखारी हैं,खाली झोली हम लाए हैं !
झोली मेरी भर दो माता,हम तेरे दर पर आए हैं !!
हे मातु कालिके......................
मेरे आंसू नही निकलते है,अन्दर ही जलते रहते हैं !
दुनिया की बात कटारी सी सब को हम सहते
रहते हैं !!
हे मातु कालिके.......................
हम अन्धकार मे पड़े यहां,कोई अपना नही लगता है !
मां तेरी भक्ती के आगे,सब कुछ बेगाना दिखता है !!
हे मातु कालिके.................
तेरे आदि-अन्त का पता नही,तु ही ब्रह्मा,विष्णू, शिव हो !
हे अन्तर्यामिन मइया श्री,तु कण-कण मे व्यापित हो !
हे मातु कालिके.........................
मां हमसे तुम हो क्युं रुठी, मुझ अनाथ पर कृपा करो !
इस अग्यानी बालक के मां,तुम सकल मनोरथ पुर्ण करो !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२४.८.१९९१ ,शनिवार
शाम ६.४५ बजे,
एन.टी.पी.सी. दादरी,गाजिया बाद (उ.प्र.)
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