हे पवन पुत्र बजरंग बली ,श्री रामदूत हनुमान प्रभू !
नाम अनेकों तेरे हैं,क्या कह तेरी पुकार करुं !!
हे पवन पुत्र.................
हे मारुति सुत अंजनि नन्दन, मेरी नइया आज भंवर मे है!
कोई नही है सहारा मेरा,सिर्फ़ आशरा तुम पर है !!
हे पवन पुत्र...................
कहां खोए हो स्वामी मेरे,दीनों के हितकारी !
सुनते नही हो विनती क्युं , हे लाल लंगोटी धारी !!
हे पवन पुत्र................
आज इस संकट की घड़ी से, आके हमे उबारो !
डुबती हुई मेरी इस नइया को,किसी तरह से बचा लो !!
हे पवन पुत्र.................
सबकी नैया खेने वाले,मेरी भी नाव बचा लो !
मुझ दीन-हीन अग्यानी को प्रभु,कैसे भी अपना लो !!
हे पवन पुत्र..................
तेरे चरणों का दास ये मोहन, कब से तुम्हे पुकारे !
अपने पद से तार दो इसको, जैसे सबको तारे !!
हे पवन पुत्र........................
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२३/१२/१९९१,सोमवार,रात १०.०५ बजे,
चन्द्रपुर (महाराष्ट्र))
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