अम्बे मां दर्शन दो ,तेरी दरश को आए हम !
उद्धार करो मेरी, बड़ी दूर से आए हम !!
अम्बे मां..............
दीनों की तुम हो मां और दुखी की अधिकारी
!
विपदा से उबारो तुम ,है आज विपद भारी !!
अम्बे मां............
अपमानित मै हुं यहां, सम्मान बचा लो तुम !
ईज्जत सब लूट रहे, मेरी आन बचा लो तुम !!
अम्बे मां................
मां हमसे हो क्यु रूठी, हमपे दया नही करती !
मेरी दुख की बदली को,नही हो क्युं हरती !!
अम्बे मां................
वो मां शेरा वाली तेरे रुप अनेकों है
!
मांगे जो भाव से तुझसे,उन्हे सब कुछ मिलते है !!
अम्बे मां.................
तेरा दास ये मोहन मां ,तुम्हें कब से पुकार रहा !
सब आश त्याग करके,तेरे चरण निहार रहा !!
अम्बे मां .................
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१३/०१/१९९२,
सोमवार,सुबह,६:२०बजे,
चन्द्रपुर (महाराष्ट्र)
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