आओ प्रभु राम का , दिल से तो हम सुमिरन कर लें !
प्यारे घनश्याम का, मुख से तो हम भजन कर लें !!
अपने श्रीराम तो , तीर धनुर्धारी है !
प्यारे श्री कॄष्ण तो, मुरली वाले मुरारी है !!
माता कौशल्या के श्रीराम ,प्राण प्यारे है !
यशोदा मइया के श्री कॄष्ण तो दुलारे है !!
दुष्ट रावण को, श्री राम ने तो मारा था !
पापी कंस को श्री श्याम ने संहारा था !!
दोनो एक हि है,चाहे राम या घनश्याम कहो !
चाहे सीतापति या राधा के श्री श्याम कहो !!
जब -जब धर्म का नुकसान बहुत होता है !
तब किसी रूप मे , उनका अवतार होता है !!
प्यारे भक्तों को प्रभु, अपनी शरण मे लेते है !
वे तो कण -कण मे, अपना वास किया करते है !!
उन्हे जिस रुप मे कोइ याद किया करते है !
वे उसी रुप मे उनके विपद को हरते है !!
ये तो माया कि दुनिया है, इसमे किसी को वक्त नही !
अच्छे कामो के लिए किसी को फ़ुर्सत है नही !!
सब कोइ आए है ,कोइ यहा अमर है नही !
जाना सबको पड़ेगा , बात ए मानो तुम सही !!
इसलिए प्यारे प्रभू का ,आओ हम सुमिरन कर लें !
अपने आराध्य का, दिल से तो हम भजन कर लें !!
आओ प्रभु राम का, दिल से तो हम सुमिरन कर लें !
प्यारे घनश्याम का, मुख से तो हम किर्तन कर लें !!
मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२८/०७/२००० , शुक्रवार, दोपहर- १२.१० बजे ,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)