Monday 14 November 2011

खेलों मे खेल क्रिकेट खेल

खेलो मे खेल क्रिकेट खेल,
जो भारत को महान बनाता है !
आपस मे दुश्मनी हो लेकिन,
ये हमे देश -भक्ति सिखलाता है !!

इस खेल के कितने दिवाने,
जिनकी कोई गिनती है नही !
करोणों दिल है धड़क जाते,
जब रन विकेट की बात कहीं !!

यदि किसी देश के साथ मैच हो,
तो उसके लिए भी दिल धड़कता है !
मैच हो भारत -पाक का तो,
वह महा युद्ध सरीखा लगता है !!

दोनो देशों के जनता एक-दूजे को,
जी भर के ललकारते हैं !
हिन्दुस्तान-पाक के जय घोषों से,
वे सिंह की तरह दहाड़ते हैं !!

चाहे नेता हो या अभिनेता,
साहब या  चपरासी हो !
चाहे शहर या हो देहात,
रावलपिण्डी या काशी हो !!

धनवान या हो निर्धन
या खरीददार, व्यापारी हो !
चाहे देश या हो विदेश,
चाहे राजा या भिखारी हो !!

सब के दिलों की यही चाह,
कि जीत हमारे वतन की हो !
जीत मिले विकेट से या,
चाहे कितने रन की हो !!

एक-एक रनों की छिना-झपटी,
या जब चौके-छक्के बरसते है !
जीत हमारी ही होगी,
इसके लिए सभी तरसते है !!

उनके दिल खुशियों से भर जाते,
जिन्हे जीत है मिल जाती !
पर वे मायुशी से भर जाते,
जिन्हें हार नसीब है हो जाती !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
 दिनांक-२८/०३/२०११,सोमवार,शाम, .५५ बजे,

रायपुर(..)

विकास बिनाष का है लक्षण



विकास विनाष का है लक्षण,
जहा मानव जिवन को खतरा है!
कर रहे प्रकॄति का हम दोहन,
जहा मानव-प्रकॄति मे झगड़ा है!!

अन्धाधुन्ध पेड़ो की कटाई कर,
हम धरती से हरियाली छीन रहे!
बेहिसाब भुमि का दोहन कर,
हम अपने लिए कफ़न मौत का बीन रहे!!

इसका दुष्परिणाम हमे होता है,
जब सूनामी भयंकर आता है!
कभी कही भूकंप है तो,
कभी ज्वालामुखी कहर बरपाता है!!

नए-नए खतरनाक आणविक अस्त्रों का,
हम तेजी से निर्माण कर रहे है!
पर शायद हमको पता नही,
हम अपने मौत का सामान धर रहे है!!

इसलिए मानव विनास को बचाना है तो,
प्रकॄति से छेड़खानी नही करो!
स्वस्थ हमे यदि रहना है तो,
वातावरण को प्रदूषित नही करो!!

मोहन श्रीवास्तव,
दिनांक-२८/०३/२०११,सोमवार,शाम,३.४५ बजे,
रायपुर(छ.ग.)

फ़िर भी मेरा भारत महान

चारों तरफ़ है हा-हा कार,
मंहगाई और भ्रष्टाचार !
हर एक ओर है लूट मचा,
फ़िर भी मेरा भारत महान !!

बेईमानी व रिश्वतखोर,
बढ़ रहे जुआरी और चोर !
हो रहे अपहरण व बलात्कार,
फ़िर भी मेरा भारत महान !!

धर्म के नाम पर अन्धबिश्वाश,
लोगो मे दौलत की प्यास !
सरकार मे है अबिश्वाश,
फ़िर भी मेरा भारत महान !!

चोरी-डाका-लूट- पाट,
दहेज की जलती हुई है आग !
दिखा रहे सब झूठी शान,
फ़िर भी मेरा भारत महान !!

बगल मे छूरी मुख मे राम,
हो रहे रोज है कत्लेआम !
मासुमों का ले रहे है जान,
फ़िर भी मेरा भारत महान !!

बढ़ रहे हैं देखो बेरोजगार,
काम के बदले नही मिलता पगार !
सत्य पे चले जो ,वो हो परेशान,
फ़िर भी मेरा भारत महान !!

चारों तरफ़ है हा- हा कार,
मंहगाई और भ्रष्टाचार,!
चारों तरफ़ है लूट मचा,
फ़िर भी मेरा भारत महान !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक- २२/०२/२०११,मंगलवार,शाम, .१० बजे,

वारासिवनी,बालाघाट(एम.पी)