मातृ भुमि की बलि बेदी पे,
प्राण गवाने वालों !
कोटि-कोटि है नमन तुम्हे,
वतन पे मरने वालों !!
मरकर के भी तुम अमर हो गए,
उपकार है तुमने हमपे किया !
धन्य है वो मा जिसने तुम्हे,
अपनी कोख से है जन्म दिया !!
देश हित के लिए तुमने वीरों,
अपने प्राणों का बलिदान किया !
हम गिन-गिन कर बदला लेंगे उनसे,
जिसने तुम्हे चिर-निद्रा मे है सुला दिया !!
अंग फ़ड़क रहे हैं हमारे,
दुश्मन के शीश काटने को !
मजबूर कर देंगे हम उनको,
जीवन का भीख मांगने को !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१०/६/१९९९,दोपहर १२ बजे,
चन्द्रपुर महा.
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