Tuesday 13 March 2012

तो आंखें भर आती होंगी

देश रक्षा मे जो लगे वीर,
वो तो वतन के दुलारे हैं !
किसी मांग के सिन्दूर है वो,
और किसी आंख के तारे है !!

किन्ही बच्चों के पिता हैं वो,
और लाज किसी बहनों के हैं !
सारे भारत की आशा हैं वो,
और गाज तो वो दुश्मनों पे हैं !!

शरहद पे लड़ते-लड़ते उन्हें,
कभी घर की याद आती होगी !
खत मिलता होगा जब उन्हें,
तो आखें भर आती होंगी !!

कितनी आश लगाते हैं सब,
और पलकें बिछाए रहते हैं!
आने की आश लगाकर सब,
सपने सजाए रहते हैं !!

दूर बहुत हैं हमसे पर,
दिल से तो दुवाएं है अपना !
विजय पताका लहराकर,
पुरे करो सब का सपना !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१४//१९९९,सोमवार,सुबह,.३० बजे,
चन्द्रपुर महा.



No comments: