धरती का स्वर्ग कश्मिर हमारा,
इसकी रक्षा मे हम जान लुटा देंगे!
यह भारत का अभिन्न अंग,
इसके लिए हम शीश कटा देगे!!
शरहद पार से पाकियों ने ,
यहा आतंक मचा के रखा है!
ज़ेहाद का ज़ोशिला नारा देकर,
उन माशूमों को बहका के रखा है!!
निर्दोषों को मार-मार कर,
वह हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है!
जब भी टकराया,उसने मुंह की खाई,
अभी अपने मौत को न्योता दे रहा है!!
हमसे कई लड़ाइयां हार चुका,
पर उसे तनिक भी शर्म नही आती!
झूठी शान दिखाता है,
उसे ईज्जत की रोटी नही भाती!!
कश्मिर हड़पने की साजिश
हम कभी सफ़ल नही होने देंगे!
आतंक मचाना बंद करो,नही तो,
हम तुम्हे अपने कदमों तले मशल देंगे!!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२३/०८/२०००,वुद्धवार शाम-६ बजे,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)
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