Monday 6 May 2013

आप ऐसे ही पल-पल तो मुस्काइए

पीते हैं गम को आप हसते हुए,
दर्द होता है तो आप मुस्काते हैं !
प्यार से कोई दे यदि ज़हर आपको,
आप हसते हुए उसको पी जाते हैं !!
पीते हैं गम को.............

आप विश्वाश कर लेते जल्द ही,
लोगों की विष भरी बातें पी जाते हैं!
आप हैं कि किसी से भी डरते नही,
बातें करने मे फ़िर आप शर्माते हैं!!
पीते हैं गम को..........

कन्धों पर  आपके भार कितना भी हो,
आप हसते हुए उसको ढो लेते हैं !
दुख भरे आंसू आंखो मे आपके,
आप हसते हुए दिल मे रो लेते हैं !!
पीते हैं गम को.................

आप नाराज होते कभी हैं नही,
आप गुस्से को भी हंस के पी जाते हैं !
आप मायुश भी होते हैं नही,
आप मुस्का के औरों मे रह जाते हैं !!
पीते हैं गम को............

घायल सी कर रही ये अदा आपकी,
आप अपने भी संग मे तो मुस्काइए !
हो मुस्कुराहट भरी जिन्दगी आप की,
आप ऐसे ही पल-पल तो मुस्काइए !!

पीते हैं गम को आप हसते हुए,
दर्द होता है तो आप मुस्काते हैं !
प्यार से कोई दे यदि ज़हर आपको,
आप हसते हुए उसको पी जाते हैं !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
                                                             www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१९/६/१९९९,शनिवार,शाम ६ बजे,
चन्द्रपुर,महा.



10 comments:

Rewa Tibrewal said...

bahut khoob

Mohan Srivastav poet said...

yashoda bahan,

aapne meri kavita ko nayi-purani halchal ke budhawariy ank me jagah diya ,mai aapka dil se aabhar pragat karta hu,dhanyawad

Unknown said...

सही कहां आपने मुसकाना आजकल आसान नहीं रह गया ।

Anila patel said...

ek puraanaa geeta yad aa gayaa- Rajkapoorjikaa- tum aaja mere dang hasalo,tum aaj mere sanag gaalo aur haste gaate is jivanaki uljhi raah sambhaalo, tuma aaj mere sang hasalo.Bahut achchhee rachanaa hai aapakee.

Unknown said...

dhannywad aap logo ki Rachna padh kar is jeewan ka washtvik roop yad aajata hai ki hum yha kyo aaye hai kya kar rahe hai kya karna chahiye Aakhir Jana to wahi hai

Mohan Srivastav poet said...

रेवा तिब्रेवाल जी
आपका आभार

Mohan Srivastav poet said...

सावन कुमार जी,
आपका आभार

Mohan Srivastav poet said...

अनिला पटेल जी,
आपने अपना बहुमुल्य समय देकर मेरे कविता की प्रसंसा की.मै आपका आभारी हूं.धन्यवाद

Mohan Srivastav poet said...

श्रीराम राय जी,
आपका बहुत-बहुत आभार,चुंकी मै आप लोगों के कमेंट्स पर देर से धन्यवाद अदा कर पा रहा हुं,इसके लिये क्षमा प्रार्थी हुं,मै समयाभाव रहने के कारण चाहकर भी आप लोगों के साथ मे उतना पल नही बिता पाता हूं,इसका मेरे दिल मे कहीं न कहीं एक कसक सी हमेशा बनी रहती है. धन्यवाद

Mohan Srivastav poet said...

श्याम यादव जी,
मुझे बेहद खुशी हो रही है कि आप जींदगी को करीब से देख पा रहे हैं,हम सब की मंजिल एक ही है,हम सभी को उसी परम्ब्रह्म परमात्मा के तेज मे ही समाहित होना है,फिर भी हम सब के अंदर एक अहम की भावना रहती है,कि हम यहां पर अमर हैं,इसलिये इस दुनिया मे जितना दिन भगवान ने हमे दिया है, सब के साथ प्यार से रहें, कभी भी हमें किसी भी चीज क घमंड नहीं करना चाहिये, हो न हो कल किसने देखा है.धन्यवाद