ना करना किसी को तंग ,मेरे प्यारे दोस्तों ॥
ये जींदगी के चार दिन, हंस के बिताइये ।
अच्छे करें सब काम ,फ़िर तो नाम कमाइये ॥
पाप की कमाई से , हम दूर रहेंगे ।
पुण्य की कमाई से हम ,पेट भरेंगे ॥
दौलत हराम की है तो, हमे सुख-चैन ना मिले ।
परिवार मे रहे अशान्ति, और हमे शान्ति ना मिले ॥
अपना पराया छोड़कर, उपकार किजीये ।
दुखियों की करें मदद, और उन्हे प्यार दिजीये ॥
अभिमान हमे सत्य पे, और हो ईमान पे ।
जो भी दें हम किसी को, वो दें मान से ॥
जीवों को मत सतायें, और उन्हें प्यार किजीये ।
बद्दुआ न पायें किसी का, दुआ ही लिजीये ॥
लेना है जान कभी तो, मोहन का लिजीये ।
मत मारिये निर्दोष को, रहम तो किजीये ॥
कभी भी किसी के काम से ,ईर्ष्य़ा ना किजीये ।
नसीब मे लिखा है जो,स्वीकार किजीये ॥
करना घमंड कभी नही,मेरे प्यारे दोस्तों ।
ना करना किसी को तंग ,मेरे प्यारे दोस्तों ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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२६-४-२०१३,शुक्रवार,८.३०
बजे रात्रि,
पुणे, महा.
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