माँ मत मारो मुझे अपनी कोख मे,
पापा मत इतने निर्दयी बनो ।
मै लाडली बेटी हूं आपकी,
मेरी चीख पुकार कहीं तो सुनो ॥
मम्मी जब मै आउंगी,
मै कभी ना तुम्हे रुलाउंगी ।
पापा जब आयेंगे कहीं से तो,
मै उन्हे पानी लाके पिलाउंगी ॥
मै घर का सब काम करुंगी,
और पढ़ाई भी होगी ।
आप सब को मै आराम भी दुंगी,
और कढ़ाई भी होगी ॥
जब घर मे मेहमान है आये,
तब उन सब की सेवा करुंगी मै ।
भाई की रहुंगी प्यारी बहन,
और अपना दुख कभी कहुंगी ना मै ॥
मत लो मम्मी जान हमारी,
अब हमपे तो रहम करो ।
मै हुं आपकी प्यारी बिटिया,
हमे जीते जी ना कतल करो ॥
मै हुं आपकी प्यारी बिटिया,
हमे जीते जी ना कतल करो ....
मत मारो मा...........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
२४-४-२०१३,वुद्धवार,४.४० शाम,
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