वे खिलाड़ी नही खेल के दुश्मन हैं,
जो मैच फ़ेक्सिंग कर पैसा कमाते हैं ।
वे यार नही गद्दार हैं वो ,
जो खेल प्रेमियों को आहत कर
जाते हैं॥
हमारे विश्वाश को तोड़ा है उन सबने,
जो मैच फ़िक्सिंग कर जाते हैं ।
अब शंकित हृदय कहता है शायद ,
मैच के पहले ही परिणाम बन जाते हैं ॥
मैच फ़िक्सिंग का यह गोरखधंधा,
शायद और भी खेलों मे होता होगा ।
जहां पैसों के लालच मे कोई खिलाड़ी,
अपने ईमान को बेचता होगा ॥
ऐसे हार - जीत के सौदागरों का,
चुन -चुन कर पहचान किया जाये ।
जिसे देख -देख कर, औरों के दिल भी कांप उठे,
उन्हें ऐसी कठोर सजाएं दिया जाए ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
७/५/२०००
रविवार ,चंद्रपुर महा.
6 comments:
खेल की सच्चाई
सटीक और बेवाक रचना
बधाई
आग्रह हैं पढ़े
ओ मेरी सुबह--
सार्थक प्रस्तुति!! मेरा पोस्ट ' देश की आवाज बन सकते हैं हम'भी पढ़े.
सभ्य लोगों का खेल कहे जाने वाले किक्रट में असभ्यता ने पैर पसार लिएं हैं ।
कविता के लिए आभार
jyoti khare ji,
aapka aabhar.
ranjana verma ji,
aapka dil se aabhar
aapka bahut abhar savan kumar ji.
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