Sunday 28 July 2013

वोटों के लिये ये सरकारें

जब तक कानून, सख्त नहीं होंगे,
और ना ही कठोर सजा होगी
कुछ लोगों की, जान ही क्या,
कई जान, कुरबान होंगी

वोटों के लिये, ये सरकारें,
कड़े कानून, नही हैं बना पाती
आम जनता मर, रही है आज,
और सरकार, मन ही मन मुस्काती

या हो हिंदू या, हो मुस्लिम,
या किसी धर्म,मजहब के हों
सब के लिये हो, एक कानून,
चाहे वो किसी राज्यों के, सरहद के हों

हम भारत में, रहते हैं तो,
हम सब ,हैं भाई-भाई
ईंसानियत धर्म है, भारत का,
ना हिंसा,क्रूरता, और कुटिलाई

एक नहीं यहां, दो-दो कानून,
इसलिये निर्दोष, हैं मारे जाते
अपराधी घुमते, सरे आम,
और निर्दोष को, सजा दिलाए जाते

बीते इतिहास से, हम सीखें,
और आपस में, लड़ना बन्द करें
किसी भी तरह का, हिंसा करें,
कुदरत के न्याय से, तो हम डरें

कोई भी यहां, अमर है नही,
सबको तो वहां, पर जाना है
इसलिये जितना दिन, हम यहां पे हैं,
सबको प्यार से, गले लगाना है

सरकारी कानून से, भले हम डरें,
पर कुदरत के कानून से, हमें डरना ही है
यदि बुरा कर्म, कर रहे आज हम,
तो कल उसका, सजा भुगतना ही है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
28-07-2013,sunday,12:10pm,

pune,maharashtra.

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