आप सभी को मुबारक हो,
स्वतंत्रता दिवस यह प्यारा ।
सारे जहां से न्यारा है ,
ये तिरंगा हमारा प्यारा ॥
इसी तिरंगे के लिये उन सबने,
कितने सहे झमेले थे ।
कितने फासी पे झुले थे,
और कितने दुःख को झेले थे ॥
कितने जुल्म ढहाये थे उन पर,
अंग्रेजी सिपहसलारों ने ।
कितनो की ईज्जत लूटी थी,
उन भीड़ भरे बाजारों मे ॥
खून की होली खेले थे वे,
जलियावाला बाग मे ।
कितनो को जलाया था उन सबने,
जलती हुई उस आग मे ॥
बहुत बड़ी मुश्किल से हमे,
हमारा स्वराज मिला है ।
उन सबके बलिदानों से,
ये आजादी का पुष्प खिला है ॥
आओ हम सब प्रण करते हैं,
इस झण्डे की शान बढ़ायेंगे ।
हम सब अपनी मेहनत व लगन से,
अपने भारत को महान बनायेंगे ॥
हम सब अपनी मेहनत व लगन से,
अपने भारत को महान बनायेंगे......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
13-08-2013,tuesday,7:30pm,(721)
pune,maharashtra.
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