होठों पे हर पल, सजा लो हमे ॥
श्याम मुरलिया बना.....२
मैं तो रहुंगी श्याम, हाथों मे तेरे.....२
कोई ना होगा श्याम, जैसा वो मेरे....२
कोई भी सुर मे, बजा लो हमे ।
होठों पे हर पल, सजा लो हमे ॥
श्याम मुरलिया बना.....२
मै तो बनूंगी कान्हा, नयनों का काजल....२
जो भी देखे वो हो, प्रेम मे पागल....२
पलकों मे हमको, बसा लो हमे ।
होठों पे हर पल, सजा लो हमे ॥
श्याम मुरलिया बना.....२
मै तो बनूंगी श्याम, कानों का कुण्डल...२
देखा करुंगी तुम्हारा, मुखमण्डल....२
कानों मे अपने, बसा लो हमे ।
होठों पे हर पल, सजा लो हमे ॥
श्याम मुरलिया बना.....२
मै तो बनूंगी कान्हा, पांव-पैजनिया....२
देखा करुंगी श्याम, सुंदर चरनिया....२
पावों मे अपने, बसा लो हमे ।
होठों पे हर पल, सजा लो हमे ॥
श्याम मुरलिया बना.....२
श्याम मुरलिया बना लो हमे ।
होठों पे हर पल सजा लो हमे ॥
श्याम मुरलिया बना.....२
मोहन श्रीवास्तव(कवि)
www.kavypushpanjali.blogspot.com
26-08-2013,monday,9pm(738),
pune.maharashtra.
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