कर रहे तरक्की हम इक्कीसवीं सदी में,
और आगे दर आगे बढ़ रहे हैं ।
पर महिलाओं व बच्चों का,
हम तरह से शोषण कर कर रहे हैं ॥
महिलाओं को पुरुषों के समान,
अधिकार दिलाने की बातें होती हैं ।
पर आज ये शोषित महलाएं,
खुन के आंसू रोती हैं ॥
सरकारी या हो निजी महकमा,
सब जगह ही महिलाओं का शोषण किया जाता ।
शारीरिक व मानषिक यातनावों से,
इन्हें अपमानित किया जाता ॥
जिनके अधीन ये रहती हैं,
वे उन पर भरपूर जुल्म ढहाते हैं ।
वे सब मजबुरी मे सहती रहती,
और ये मन ही मन मुस्काते हैं ॥
लेकिन तुम अबला या कमजोर नहीं,
तुम तो इक चिंगारी हो ।
अन्याय कभी नहीं सहना,
तुम महान भारत की नारी हो ॥
पर आज के इस बदलते परिवेश मे भी,
कई जगह महिलाएं सम्मान से जिती हैं ।
और वे सब भी सम्मान किया करते,
जिनके अधीन ये रहती हैं ॥
कर रहे तरक्की हम इक्कीसवीं सदी में,
और आगे दर आगे बढ़ रहे हैं ।
पर महिलाओं व बच्चों का,
हम तरह से शोषण कर कर रहे हैं ॥
पर महिलाओं व बच्चों का,
हम तरह से शोषण कर कर रहे हैं......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
22-11-2013,Friday,04:30PM,(803),
Pune,Maharashtra.
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