Saturday 4 May 2013

तो एक दामिनी की बात ही क्या

जब तक कानून सख्त नही होंगे,

और ना ही कठोर सजा होगी
तो एक दामिनी की बात हि क्या,
और कई दामिनी बे - परदा होंगी

ये तो हादशा  दिल्ली मे था,
जहां सबकी आंखों ने देख लिया
पर कई हादशे ऐसे होते हैं,
जिन्हें हमने नही महशुश किया॥

कितने ज़ुल्म ढहाए जाते हैं ,
उन माशुम, सरल , अबलावों पर
घुट - घुट कर जीती रहती हैं,
ऐसा समाज, जो है पत्थर

उन माशुमों के आबरु के बदले,
उन्हे मौत की सजा दिया जाये
जिसे देख के और कोई गलती करे,
उन सबसे भी हिसाब लिया जाये॥

इन सबके साथ- साथ ,
हमे अपने पर भी नियन्त्रण रखना होगा
पश्चिमी सभ्यता को भुला करके ,
हमे भारतीय संस्कृति के आवरण मे रहना होगा

जब तक कानून सख्त नही होंगे,
और ना ही कठोर सजा होगी
तो एक दामिनी की बात ही क्या,
और कई दामिनी बे-परदा होंगी

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन दिनांक-२०--२०१३
रविवार ,शाम - बजे

पुणे ,महाराष्ट्र



करना घमंड कभी नही, मेरे प्यारे दोस्तों


करना घमंड कभी नही मेरे प्यारे दोस्तों ।
ना करना किसी को तंग ,मेरे प्यारे दोस्तों ॥

ये जींदगी के चार दिन, हंस के बिताइये ।
अच्छे करें सब काम ,फ़िर  तो नाम कमाइये ॥

पाप की कमाई से , हम दूर रहेंगे ।
पुण्य की कमाई से हम ,पेट भरेंगे ॥

दौलत हराम की है तो, हमे सुख-चैन ना मिले ।
परिवार मे रहे अशान्ति, और हमे शान्ति ना मिले ॥

अपना पराया छोड़कर, उपकार किजीये ।
दुखियों की करें मदद, और उन्हे प्यार दिजीये ॥

अभिमान हमे सत्य पे, और हो ईमान पे ।
जो भी दें हम किसी को, वो दें मान से ॥

जीवों को मत सतायें, और उन्हें प्यार किजीये ।
बद्दुआ न पायें किसी का, दुआ ही लिजीये ॥

लेना है जान कभी तो, मोहन का लिजीये ।
मत मारिये निर्दोष को, रहम तो किजीये ॥

कभी भी किसी के काम से ,ईर्ष्य़ा ना किजीये ।
नसीब मे लिखा है जो,स्वीकार किजीये ॥

करना घमंड कभी नही,मेरे प्यारे दोस्तों ।
ना करना किसी को तंग ,मेरे प्यारे दोस्तों ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२६-४-२०१३,शुक्रवार,८.३० बजे रात्रि,

पुणे, महा. 

माँ मत मारो मुझे अपनी कोख में


माँ मत मारो मुझे अपनी कोख मे,
पापा मत इतने निर्दयी बनो
मै लाडली बेटी हूं आपकी,
मेरी चीख पुकार कहीं तो सुनो

मम्मी जब मै आउंगी,
मै कभी ना तुम्हे रुलाउंगी
पापा जब आयेंगे कहीं से तो,
मै उन्हे पानी लाके पिलाउंगी

मै घर का सब काम करुंगी,
और पढ़ाई भी होगी
आप सब को मै आराम भी दुंगी,
और कढ़ाई भी होगी

जब घर मे मेहमान है आये,
तब उन सब की सेवा करुंगी मै
भाई की रहुंगी प्यारी बहन,
और अपना दुख कभी कहुंगी ना मै

मत लो मम्मी जान हमारी,
अब हमपे तो रहम करो
मै हुं आपकी प्यारी बिटिया,
हमे जीते जी ना कतल करो
मै हुं आपकी प्यारी बिटिया,
हमे जीते जी ना कतल करो ....
मत मारो मा...........

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
२४--२०१३,वुद्धवार,.४० शाम,

पुणे .महा