ये उमड़-घुमड़ हैं रहे बादल,
लगता है बारिस आयेगी ।
सब खुश होते इन्हें देख,
लगता है गर्मी जायेगी ॥
आकाश में इनका आना-जाना,
बारिस आने की आहट है ।
हर जीव के मन मे है खुशियां,
और सब को पानी की चाहत है ॥
बरसो मेघा खुब जोर-जोर,
धरती को पानी से तर कर दो ।
पानी के बिन जो तड़प रहे,
उनके मन पानी से भर दो ॥
अच्छी वर्षा के होने से,
किसान करेंगे अपनी खेती ।
फसल लहलहायेंगे खेतों मे,
और हरी-भरी होगी धरती ॥
आश लगाये हैं सब तुम्हे देख,
कितनों के मन मे सुनहरे सपने हैं ।
बरसो मेघा अब तो बरसो,
तुम बिन तो सभी तड़पते हैं ॥
ये उमड़-घुमड़ हैं रहे बादल,
लगता है बारिस आयेगी ।
सब खुश होते इन्हें देख,
लगता है गर्मी जायेगी ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
दिनांक-३०-०५-२०१३,बृहस्पतिवार,
रात्रि ९ बजे,पुणे,महाराष्ट्र
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
लगता है बारिस आयेगी ।
सब खुश होते इन्हें देख,
लगता है गर्मी जायेगी ॥
आकाश में इनका आना-जाना,
बारिस आने की आहट है ।
हर जीव के मन मे है खुशियां,
और सब को पानी की चाहत है ॥
बरसो मेघा खुब जोर-जोर,
धरती को पानी से तर कर दो ।
पानी के बिन जो तड़प रहे,
उनके मन पानी से भर दो ॥
अच्छी वर्षा के होने से,
किसान करेंगे अपनी खेती ।
फसल लहलहायेंगे खेतों मे,
और हरी-भरी होगी धरती ॥
आश लगाये हैं सब तुम्हे देख,
कितनों के मन मे सुनहरे सपने हैं ।
बरसो मेघा अब तो बरसो,
तुम बिन तो सभी तड़पते हैं ॥
ये उमड़-घुमड़ हैं रहे बादल,
लगता है बारिस आयेगी ।
सब खुश होते इन्हें देख,
लगता है गर्मी जायेगी ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
दिनांक-३०-०५-२०१३,बृहस्पतिवार,
रात्रि ९ बजे,पुणे,महाराष्ट्र
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