बच्चा दूध के लिये जब व्याकुल हो तो,
माताएं लोरियां कहती हैं ।
हम उस देश के वासी हैं,
जहां दूध की नदियां बहती है ॥
पानी के लिये तड़पते हों जब,
तब लोग यही समझाते हैं;
हम उस देश के वासी हैं ,
जिस देश मे गंगा बहती है ॥
स्वर्णाभूषणों की जब लालसा हो,
तो अपने दिल बहलाते हैं,
हम उस देश के वासी हैं;
लोग जिन्हें सोने की चिड़िया बुलाते हैं ॥
जहां चोरी करना आम बात हो,
और चोर चोरी की ताक मे रहते हैं॥
हम उस देश के वासी हैं,
जहां घरों मे ताले नही लगते हैं ॥
बेइमानी,धुर्तता हर जगह पे है,
लोग अपने ईमान बेचते हैं,
हम उस देश के वासी हैं,
जिन्हें दुनिया वाले पूजते हैं ॥
ईज्जत लुट रही है नारियों की,
उनकी चीत्कार दिशाओं मे गूंजते हैं ।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश मे नारी को पूजते हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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27-08-1-999,friday,12.015
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