मइया पयजनिया, बना लो हमें ।
चरणों मे अपने, सजा लो हमें ॥
मइया पयजनिया......
हर पल चरण तेरे, निहारा करुंगी ।
तुझे छम-छम की बोली से, पुकारा करुंगी ॥
चाहे कोई धुन में, बजा लो हमें ।
चाहे कोई धुन में, बजा लो हमें ।
चरणों में अपने, सजा लो हमें ॥
मइया पयजनिया......
हमें बना लो मइया, कानों का झुमका ।
देखा करुंगी तुम्हारा, सुंदर मुखड़ा ॥
चाहे कैसे भी रूप में, गढ़ा लो हमें ।
कानों में अपने, सजा लो हमें ॥
मइया पयजनिया......
हमे बना लो मइया, मांग का सिन्दुरा ।
या तो बना लो मइया, चाहे तुम एंगुरा ॥
माँ माथे की दासी, बना लो हमे ।
कैसे भी माँ, अपना लो हमें ॥
मइया पयजनिया......
हमें बना लो अपनी, कलाई की चूड़ी ।
बजती रहुंगी मैं, हाथों मे तेरी ॥
कैसे भी ढंग से, बजा लो हमे ।
हाथों में अपने, सजा लो हमे ॥
मइया पयजनिया......
तन पे रहुंगी, शान से तुम्हरी ॥
कैसी भी चुंदरी, बना लो हमें ।
अंग पे अपने, सजा लो हमें ॥
मइया पयजनिया, बना लो हमें ।
चरणों मे अपने, सजा लो हमें ॥
मइया पयजनिया......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
03-09-2013,tuesday,9pm,(744),
pune,maharashtra.