आदि काल से चला आ रहा है ये,
और आगे भविष्य मे रहेगा भी ।
छूआ-छूत कभी बंद नहीं होगा,
इतिहास सदा ये कहेगा भी ॥
चार वर्ण पहले भी थे,
और चार वर्ण तो अब भी हैं ।
ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य,शूद्र थे पहले,
ये चार श्रेणियां अभी भी हैं ॥
सरकारी या हो निजी क्षेत्र,
सबमे चार तरह की व्यवस्था आज भी है ।
प्रथम,द्वितीय.तृतीय व चतुर्थ,
ये श्रेणियां आज भी हैं ॥
छुआ-छूत का भेद-भाव,
इन सबमें कड़ाई से है चलता ।
अनुशासन भंग हुआ यदि किसी से,
तो सजा उन्हें है अवश्य मिलता ॥
मित्रों इसिलीये जरूरी है शिक्षा,
जिससे हम कभी भी आगे हैं बढ़ सकते ।
शिक्षित होकर हम समाज-राष्ट्र को,
और भी जागरूक हैं कर सकते ॥
आदि काल से चला आ रहा है ये,
और आगे भविष्य मे रहेगा भी ।
छूआ-छूत कभी बंद नहीं होगा,
इतिहास सदा ये कहेगा भी ॥
छूआ-छूत कभी बंद नहीं होगा,
इतिहास सदा ये कहेगा भी.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
31-10-2013,Thursday,06:00am,(785),