Wednesday 29 October 2014

"घायल सी कर रही ये अदा आपकी"

पीतीं हैं गम को आप हसती हुई,
दर्द होता है तो आप मुस्काती हैं
प्यार से कोई दे यदि जहर आपको,
आप हसती हुई उसको पी जाती हैं

आप विश्वाश कर लेती जल्द ही,
लोगों की विष भरी बातें पी जाती हैं
आप हैं कि किसी से भी डरती नही,
बातें करने मे  फ़िर आप शर्माती हैं

कन्धों पर भार हो आप के कितना भी,
आप हसती हुई उसको ढो लेती हैं
दुख भरे आंसू हों आप की आखों मे,
आप हसती हुई दिल से रो लेती हैं

आप नाराज होती कभी भी नहीं,
आप गुस्से को भी हस के पी जाती हैं
आप मायुश होती कभी भी नहीं,
आप मुस्का के औरों मे रह जाती हैं

घायल सी कर रही ये अदा आपकी,
आप अपने भी संग मे तो मुस्काइए !
हो मुस्कुराहट भरी जिन्दगी आप की,
आप ऐसे ही पल-पल तो मुस्काइए !!


पीतीं हैं गम को आप हसती हुई,
दर्द होता है तो आप मुस्काती हैं
प्यार से कोई दे यदि जहर आपको,
आप हसती हुई उसको पी जाती हैं


मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१९--२०१३,मंगलवार, प्रतः बजे,

पुणे, महा